हरियाणा में दशहरा पर्व पर हमेशा चर्चा में रहने वाले अंबाला (बराड़ा) का सबसे ऊंचा रावण का पुतला टूटकर गिर गया। बराड़ा की संस्था द्वारा 7 लाख रुपए की लागत से 125 फीट ऊंचा रावण का पुतला तैयार किया गया था। शनिवार रात 12 बजे हादसा क्रेन का बूम टूटने के कारण हुआ। गनीमत रही कि किसी को कोई चोट नहीं आई।
अंबाला (बराड़ा) (ऋचा धीमान ) हरियाणा में दशहरा पर्व पर हमेशा चर्चा में रहने वाले अंबाला (बराड़ा) का सबसे ऊंचा रावण का पुतला टूटकर गिर गया। बराड़ा की संस्था द्वारा 7 लाख रुपए की लागत से 125 फीट ऊंचा रावण का पुतला तैयार किया गया था। शनिवार रात 12 बजे हादसा क्रेन का बूम टूटने के कारण हुआ। गनीमत रही कि किसी को कोई चोट नहीं आई। इस पुतले को तैयार करने के लिए 25 कारीगरों की टीम पिछले 3 माह से जुटी हुई थीं।
मंगलवार को बराड़ा के दशहरा ग्राउंड में दिल्ली से लाए गए 50 फीट के रावण, 40-40 फीट ऊंचे कुंभकर्ण और मेघनाथ के रेडीमेड पुतलों का दहन होगा। हालांकि, प्रबंधक कमेटी का कहना है कि पहले की तरफ दशहरा महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। आज शाम को पंजाबी सूफी गायब मानक अली प्रस्तुति देंगे।
कुदरत कर रही थी इशारा, लेकिन वे समझ नहीं पाए
श्री रामलीला क्लब के संस्थापक तेजेंद्र चौहान ने बताया कि करीब साढ़े 6 बजे वे पुतले को खड़ा करने की तैयारी में थे और क्रेन, अर्थमूविंग मशीन भी आ चुकी थी। तभी अचानक क्रेन में कोई फाल्ट आ गया। इसके बाद अर्थ मूविंग मशीन का चालक मशीन लेकर चला गया। पड़ोस के गांव से अर्थ मूविंग मशीन मंगवाई और तो उसका डीजल खत्म हो गया। करीब 45 मिनट पुतला क्रेन पर टंगा रहा और जब पुतले को गड्ढे में रखने का वक्त आया तभी क्रेन का बूम टूट गया और हादसा हो गया। चौहान ने बताया कि क़ुदरत उन्हें इशारा कर रही थी, लेकिन वे समझ नहीं पाए।
उधर, अंबाला में पहली बार रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले आकर्षण का केंद्र होंगे। खास बात ये है कि ये पुतले तोपखाना के मैदान में 360 डिग्री के एंगल पर घूमेंगे। कार्यक्रम में हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बतौर मुख्यातिथि शिरकत करेंगे।
पंजाब के 7 कारीगरों ने तैयार किए पुतले
खास बात ये है कि मुख्यातिथि आगे आग लगा हुआ एक तीर छोड़ेंगे, जो रावण की नाभि में जाकर लगेगा। हालांकि, आज शाम को संस्था के लोग इसका ऐक्सपेरिमेंट करेंगे। ये पुतले अंबाला कैंट के तोपखाना मंदिर के पास ही तैयार किए गए हैं, जिनके लिए पंजाब के संगरूर से 7 कारीगरों को बुलाया गया था।