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भारत और चीन विवाद: बहुत उड़ रहा था चीन, जल्द सेना के हाथ में होगा ये देसी हथियार

India and China dispute: China was flying a lot, soon this indigenous weapon will be in the hands of the army

( गगन थिंद ) भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और एलएसी पर बीते कुछ वर्षों से जारी तकरार के कारण भारतीय सेना लगातार अलर्ट मोड में है. वह अपनी तैयारियों में किसी भी किन्तु-परंतु की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती. ऐसे में चीनी सेना की तैयारियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इंडियन आर्मी के साथ देश के वैज्ञानिक भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं. अब इस लड़ाई में देश की निजी कंपनियों ने भी सहयोग शुरू कर दिया है. देश की एक सबसे बड़ी ऑटो कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने डीआरडीओ के साथ मिलकर एक ऐसे तोप का निर्माण किया है जो लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में चीन सेना को धूल चटा सकता है. इस तोप का नाम है जोरावर. इसे खासतौर पर दुर्गम पहाड़ी इलाकों के लिए बनाया गया है. यह एक हल्का तोप है. इसे रक्षा शोध विकास संगठन  ने एलएंडटी के साथ मिलकर बनाया है. यह तोप बनकर तैयार हो चुका है. यह अपनी श्रेणी में दुनिया का एक सबसे बेहतरीन तोप है. इसकी खासियत का अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि यह चीन के टैंक से करीब 11 टन हल्का है. लेकिन, इसकी मारक क्षमता बेहद गंभीर और अचूक है. यानी यह तोप ‘देखन में छोटन लगे, लेकिन घाव करे गंभीर’ कहावत को पूरी तरह सही साबित करता है. इस श्रेणी में चीन के पास टाइप 15 टैंक हैं. दरअसल, दुर्गम पहाड़ियों में जंग के लिए हल्के तोप बेहद कारगर साबित होते हैं. वजन में कम होने के कारण इन तोपों को आसानी से पहाड़ियों के ऊपर पहुंचाया जा सकता है. इन्हें हवाई जहाजों या हेलीकॉप्टरों में भरकर सीधे अग्रिम मोर्चे तक पहुंचाया जा सकता है. ऐसे में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे दुर्गम इलाकों में जंग की स्थिति में भारतीय सेना को ऐसे हल्के तोप की बेहद जरूरत थी.

जोरावर का जोर
चीन के पास जो मौजूदा टैंक है उसका वजन 36 टन है जबकि अपने जोरावर का वजन मात्र 25 टन है. ये दोनों एक ही श्रेणी और एक ही क्षमता के टैंक हैं. दोनों में 105 एमएम के गोले भरे जाते हैं. दोनों में1000 हॉर्स पावर का इंजन है. इन दोनों की स्पीड 70 किमी प्रति घंटे की है. लेकिन, हल्का होने की वजह से अपना जोरावर पहाड़ी इलाकों में चीनी तोपों से तेज गति से भागता है. इसके अलावा जोरावर में 7.62MM का अलग से एक मशीन गन लगा हुआ है. जोरावर में ‘वेट और पावर’ का जो रेशियो है वो दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है. इसे हेलीकॉप्टर, ट्रेन और रोड हर तरीके से मोर्चे तक पहुंचाया जा सकता है. इस तोप को 2027 तक भारतीय सेना में शामिल कर लिया जाएगा. इसे तैयार कर लिया गया है और इसका गर्मी और सर्दी के मौसम में सेना के स्तर पर परीक्षण शुरू किया जाने वाला है. पिछले दिनों डीआरडीओ के चेयरपर्सन समीर कामत ने इस टैंक का निरीक्षण किया. इसे मात्र 24 से 30 महीने के भीतर तैयार किया गया है. भारतीय सेना अपने बेड़े में ऐसे 354 टैंक शामिल करेगी. इस पर कुल खर्च करीब 17,500 करोड़ रुपये का आएगा. भारत सरकार ने 2022 में ही इस पैसे की मंजूरी दे दी थी. इसमें 59 टैंकों का निर्माण डीआरडीओ करेगा. बाकी के 295 टैंकों का निर्माण एलएंडटी करेगी.

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