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करनाल के 291 आंगनवाड़ी सेंटर बने प्ले-स्कूल:ट्रेनिंग पूरी हुई; 1 अप्रैल से शुरू होंगी कक्षाएं

हरियाणा के करनाल जिले के 291 आगनवाडी सेंटर को प्ले-स्कूल बनने के लिए चयनित किया गया है। जिले में कुल 1479 आंगनवाड़ी सेंटर हैं, लेकिन 291 ही प्ले स्कूल बनेंगे और इसके लिए सभी की ट्रेनिंग कम्पलीट हो चुकी है।

उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि हरियाणा पूर्व प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। इस दिशा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की घोषणा के तहत 4000 चयनित आंगनवाडियों को प्ले-स्कूलों में बदला गया है। शेष 21,962 आंगनवाड़ियों में भी प्री-स्कूल शिक्षा का प्रावधान किया गया है।

2020 में पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर दिया गया बल

सतत विकास लक्ष्य 4.2 (वर्ष 2030 तक यह सुनिश्चित करना कि सभी लड़कियों और लड़कों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल विकास और प्राथमिक पूर्व शिक्षा सुलभ हो, ताकि वे प्रारम्भिक शिक्षा के लिए तैयार हो सकें) को देश ने पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। इसके परिणामस्वरुप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर बल दिया गया है।

प्रशिक्षण हो चुका पूरा

वर्ष 2021-22 में स्टेट रिसोर्स ग्रुप के प्रशिक्षण के अतिरिक्त सभी बाल विकास अधिकारियों, पर्यवेक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण पूर्ण हो चुका है। सभी ने बच्चों के साथ अपनी अभ्यास कक्षाओं को भी पूर्ण किया है। इस वर्ष की शुरुआत में ही कोरोना काल में आए अंतराल के बाद सभी का पुन: ओरिएंटेशन पूर्ण किया गया है।

प्रचार-प्रसार पर चल रहा काम

महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी राजबाला ने बताया कि 1 अप्रैल 2022 से सभी प्री-स्कूलों व आंगनवाड़ियों में प्री-स्कूल शिक्षा को औपचारिक तरीके से शुरू किया जा रहा है। इससे पहले इसके प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न माध्यमों से एनरोलमेंट ड्राइव चलाई जा रही है।

31 मार्च को सभी प्ले स्कूलों और आंगनवाडी केन्द्रों में स्कूल रेडीनेस मेले का आयोजन किया जाएगा। विभाग इसे सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। तकनीक के माध्यम से इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। इन मेलों में अभिभावकों के साथ आए 3-6 वर्ष के बच्चों का खेल-खेल में आंकलन किया जाएगा।

बच्चों का रिपोर्ट कार्ड भी बनाया जाएगा। मेले में लगे स्टाल्स में छोटे बच्चों के विकास से सम्बंधित गतिविधियां करवाई जाएंगी। इनमें विकास के शारीरिक, मानसिक, भाषाई, पूर्व गणित और सामाजिक एवं भावनात्मक क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जाएगा। इसका मूल उद्देश्य पूर्व प्राथमिक शिक्षा के प्रति अभिभावकों और समुदाय को जागरूक करना है, ताकि समाज के सभी वर्गों के बच्चों को निशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।

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