यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारतीय छात्र किसी भी तरह घर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच हरियाणा के पानीपत जिले की रहने वाली लीशा वर्मा मंगलवार को यूक्रेन से अपने घर तहसील कैंप पहुंची। यहां पहुंचने के बाद अपनों के गले लग वह भावुक हो गई। उसने वहां के मौजूदा हालत बताए। बताया कि आखिर किस तरह वहां छात्रों को मानसिक रुप से डराया जा रहा है।
छात्रा ने बताया कि यूक्रेन से फ्लाइट बंद हो चुकी थी। हमारी इंडियन एम्बेसी ने मदद की। हमें बस के जरिए हंगरी बॉर्डर पहुंचाया। निशा ने बताया कि हमारी बस पर इंडिया का फ्लैग था, इसलिए बॉर्डर तक किसी ने नहीं रोकी। निशा ने बताया कि उनके दोस्त लगातार उनसे मदद मांग रहे हैं।
इसलिए निशा ने भारत सरकार से छात्रों की मदद में तेजी लाने की बात कही है। वहीं, निशा के पिता ने बेटी के घर पहुंचते ही एक व्हाटसप ग्रुप बनाया है, जिसमें वह यूक्रेन में फंसे बच्चों की मदद करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
इंडिया के कार्ड से रुपए निकलने हो गए थे बंद
निशा ने बताया कि वह एमबीबीएस की तीसरे वर्ष की छात्रा है और अभी उसके 3 वर्ष और बाकी है। जब पहले दिन वह सो कर उठी तो उसे पता लगा कि यूक्रेन और रूस के बीच में तनाव अब युद्ध में बदल चुका है। वह हर दिन डर के साए में रही। खाने पीने की सामान के लिए उन्हें घंटों लाइन में लगना पड़ता था और आलम यह था कि इंडियन कार्ड से पैसे निकलना भी बंद हो गए थे।
रूस के हमले के बाद यूक्रेन के सैनिक उन्हें यही बोलते थे कि तुम यही रहो, इंडिया जाने की जरूरत नहीं है। तुम लोग और उसका साथ दे रहे हो। लीशा ने बताया कि वह सुरक्षित इंडिया में तो पहुंच चुकी है पर उसे अपने साथियों की भी चिंता है जो पढ़ाई करने के लिए वहां गए थे और आज भी वही फंसे हुए हैं। उन्होंने सरकार से दरख्वास्त लगाई है कि जल्द उन सभी छात्रों को निकाला जाए ताकि उनका जनजीवन सुरक्षित हो सके।