हरियाणा के कुछ ऐसे जीवट पर्वतारोहियों ने पिछले दिनों अलग-अलग दुर्गम चोटियों पर विजय पताका फहराकर नाम रोशन किया है। इंडियन बैंक की करनाल शाखा में लिपिक गांव रसूलपुर निवासी सुनील कुमार रोहिल्ला ने 17 मई को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया।
पहाड़ पर चढ़ना बहुत ही दिलचस्प, लेकिन चुनौतियों और कठिनाइयों से भरा खतरनाक खेल है। पहले के पर्वतारोहियों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। हालांकि, आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकी ने इसे आसान बनाया है, लेकिन प्रकृति के सामने अब भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। जानलेवा ठंड और दुर्गम परिस्थितियों के बीच आगे बढ़ना वास्तव में अद्भुत है। इसमेंं सफलता मिलती है या नहीं, यह उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना कि धैर्य, संयम और विश्वास के साथ आगे बढ़ने का जज्बा बनाए रखना है। हरियाणा के कुछ ऐसे जीवट पर्वतारोहियों ने पिछले दिनों अलग-अलग दुर्गम चोटियों पर विजय पताका फहराकर नाम रोशन किया है।
बैंक लिपिक सुनील ने 23 घंटे में फतह की दो चोटियां
इंडियन बैंक की करनाल शाखा में लिपिक गांव रसूलपुर निवासी सुनील कुमार रोहिल्ला ने 17 मई को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया। इसके ठीक 23 घंटे बाद दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्हाेत्से को भी फतह किया। वह प्रदेश के पहले पर्वतारोही हैं, जिन्होंने 23 घंटे में लगातार दो चोटियों पर फतह हासिल की है। पूरे सफर में उन्हें 53 दिन लगे। सुनील ने बताया कि माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई बहुत ही कठिन और दुर्गम है।
बर्फीली हवाओं और ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ता है। मौसम लगातार बदलते रहने से बनी विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने धैर्य, संयम और विश्वास बनाए रखा, जिससे कि मिशन में सफल हो सके। सुनील वर्ष 2022 में माउंट कुन और वर्ष 2021 में माउंट सतोपंथ पर भी चढ़ाई कर चुके हैं। उन्होंने हिमालय पर्वतारोही संस्थान दार्जिलिंग से बेसिक और एडवांस कोर्स किया हुआ है। चढ़ाई शुरू करने से पहले उन्होंने प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर की दौड़ लगाई और 20 से 25 किलोग्राम के वजन उठाया, जिससे शरीर की वजन उठाने की क्षमता बढ़े।
ऑक्सीजन खत्म होने पर 58 मीटर दूरी से एवरेस्ट फतह नहीं कर पाईं रीना भट्टी
हिसार के श्यामलाल बाग की पर्वतारोही रीना भट्टी पहली बार अप्रैल में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने निकली थीं, मगर सिलिंडर में ऑक्सीजन कम होने के कारण महज 58 मीटर दूरी से उन्हें वापस लौटना पड़ा। पहले प्रयास में इतनी अधिक ऊंचाई तक पहुंचना भी आसान नहीं है। लेकिन रीना में जीत का जज्बा कम नहीं हुआ है। अब वे अगले साल फिर से माउंट एवरेस्ट को फतह करने निकलेंगी और अपना सपना पूरा करेंगी।
पर्वतारोही रीना बताती हैं कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8849 मीटर है। वह 8791 मीटर ऊंचाई पर हिलेरी स्टेप से वापस आना पड़ा। रीना ने 15 अगस्त 2022 को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी एलब्रुस को फतह किया था। इसी प्रकार वर्ष 2019 में अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारों को फतह कर देश का तिरंगा फहराया था। वर्ष 2022 और वर्ष 2019 में दो बार माउंट फ्रेंडशिप पीक फतह की थी। रीना 23 मई को हिसार लौटी हैं।
तीन बार एवरेस्ट फतह कर चुकीं अनीता कुंडू ने माउंट मकालू पर फहराया तिरंगा
हिसार के उकलाना के फरीदपुर गांव की बेटी पर्वतारोही अनीता कुंडू ने गत 17 मई को नेपाल में स्थित 8481 मीटर ऊंची चोटी माउंट मकालू पर तिरंगा फहराया है। इसकी ऊंचाई 8481 मीटर है। नेपाल व चीन की ओर से माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली अनीता कुंडू देश की पहली बेटी है। नेपाल की ओर से 2013 और चाइना की ओर से 2017 में कुंडू ने माउंट एवरेस्ट को फतह किया था।
तीन बार माउंट एवरेस्ट को फतह कर चुकी अनीता हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत हैं। अनीता ने अपने अभियान की शुरुआत 24 अप्रैल को की थी। अनीता 2020 में राष्ट्रपति के हाथों एडवेंचर के सबसे बड़े अवॉर्ड तेनजिंग नोर्गे से सम्मानित हो चुकी हैं। अनीता तीन बार माउंट एवरेस्ट को फतह कर चुकी हैं।
एवरेस्ट से 800 मीटर पहले ही अस्मिता की बिगड़ी हालत,
पर्वतारोही अस्मिता दोरजी शर्मा झज्जर की बहू हैं। अस्मिता ने बगैर ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने का लक्ष्य रखा था। 26 हजार मीटर तक बगैर ऑक्सीजन के पहुंच भी गईं। लेकिन जब माउंट एवरेस्ट की चोटी मात्र 800 मीटर की दूरी पर रह गई थी, तब अस्मिता को ऑक्सीजन की कमी के कारण असहजता महसूस होने लगी। कुछ देर के लिए लगा कि एवरेस्ट पर पहुंचने का सपना पूरा नहीं होगा, लेकिन अस्मिता ने धैर्य नहीं खोया और अपने शेरपा की सलाह पर उन्हें ऑक्सीजन का सिलेंडर प्रयोग करना पड़ा। कुछ देर आराम करने करने के बाद अस्मिता दोरजी ने माउंट एवरेस्ट पर भारतीय शान तिरंगा झंडा लहराया।