पिपली-थर्डगेट सिक्सलेन प्रोजेक्ट जहां चार साल से सिरदर्द बना हुआ है। वहीं डेढ़ माह से काम बंद है। केस आर्बिटेशन में भी लटका है। पीडब्ल्यूडी विभाग कांट्रेक्ट रद्द कर चुका है। ऐसे में अब नए सिरे से ही टेंडर प्रक्रिया होनी है, लेकिन केस आर्बिटेशन में होने के चलते कोई फैसला नहीं हो पा रहा। न तो कंस्ट्रक्शन कंपनी पीछे हटने को तैयार है और न ही पीडब्ल्यूडी।
नया टेंडर जारी करने में कानूनी अड़चन का भी डर विभाग को है। अब सरकार ने इसे लेकर एडवोकेट जरनल से भी सलाह ली है। एजी ने भी राय दी कि पीडब्ल्यूडी नया टेंडर जारी कर सकता है। इसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं आएगी। ऐसे में पीडब्ल्यूडी अब नए सिरे से ही टेंडर की प्रक्रिया में लग है। कंस्ट्रक्शन कंपनी भी कोर्ट की शरण में जा सकती है। ऐसे में यह मुद्दा सुलझ कर भी अनसुलझा रह सकता है।
ऐसे आई राय लेने की नौबत : बता दें कि गत 31 दिसंबर को पीडब्ल्यूडी बीएंडआर ने गर्ग एंड कंपनी का कांट्रेक्ट रद्द कर दिया था। इससे पहले विभाग ने काम समय पर न निपटाने को लेकर कंपनी पर साढ़े चार करोड़ की पैनल्टी भी लगाई। इसे लेकर गर्ग एंड कंपनी ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने चीफ इंजीनियर को उक्त मामले निपटाने के आदेश दिए। इसके बाद मामला आर्बिटेशन में रखा गया। कंपनी उक्त कांट्रेक्ट नहीं छोड़ना चाहती। कंपनी का कहना है कि वह काम पूरा करेगी।
ऐसे में यदि पीडब्ल्यूडी नया टेंडर जारी करता है तो कंपनी द्वारा कानूनी कार्रवाई का डर है। इसे लेकर ही एडवोकेट जरनल से सरकार ने सलाह ली। अब पिपली से थर्ड गेट तक सड़क निर्माण कार्य का टेंडर जारी करने के लिए एजी ने कानूनी राय मांगी। विधायक सुभाष सुधा ने इसकी पुष्टि की। कहा कि एजी की कानूनी राय के अनुसार टेंडर जारी करने का अधिकार लोक निर्माण विभाग के पास है। इस कानूनी राय के बाद अब लोग निर्माण विभाग शीघ्र ही टेंडर जारी कर देगा।
कोई अड़चन नहीं : जनहित को ध्यान में रखकर अधिकारी टेंडर लगा सकते हैं : एजी
विधायक ने कहा कि पिपली से थर्ड गेट तक सड़क निर्माण कार्य को जल्द शुरू करने काम किया जाएगा। सड़क निर्माण कार्य को लेकर पुराने ठेकेदार ने अदालत में याचिका दायर की थी। इस कारण यह कार्य बीच में ही रुका हुआ है। इस कार्य को शुरू करने के लिए काफी प्रयास करने पड़े और वे स्वयं फाइल को लेकर एक टेबल से लेकर दूसरे टेबल पर पहुंचे हैं। कई बार मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता से भी मुलाकात की। इन सभी प्रयासों के बाद टेंडर के लिए कानूनी राय लेनी पड़ी और फाइल को एजी के पास भेजा गया।
शुक्रवार को दोपहर बाद एजी ने कानूनी राय दी है। उनकी राय के अनुसार लोक निर्माण विभाग के अधिकारी सड़क निर्माण कार्य के लिए टेंडर जारी कर सकते हैं। यह एक जनहित का मामला है और आमजन को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए जनहित को जहन में रखकर विभागीय अधिकारी टेंडर लगा सकते हैं। इस हरी झंडी के बाद लोक निर्माण विभाग के अधिकारी जुट गए हैं और टेंडर जारी करने की तमाम औपचारिकताओं को पूरी की जा रही हैं।
सीएम के समक्ष है मामला
बता दें कि उक्त सड़क का मामला मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संज्ञान में भी है। खुद विधायक ने कुछ दिन पहले सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के संज्ञान में यह मामला रखा था। इसमें नए सिरे से टेंडर की डिमांड की थी। यह महकमा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पास है। मामला उनके भी संज्ञान में जा चुका है।
विभाग नए सिरे से टेंडर लगाएगा तो कोर्ट जाएंगे : गर्ग
वहीं गर्ग एंड कंपनी के डायरेक्टर शशांक गर्ग का कहना है कि वे काम करना चाहते हैं तो क्यों उनका कांट्रेक्ट रद्द किया। यदि विभाग नए सिरे से टेंडर लगाएगा तो उनके पास कोर्ट की शरण में जाने के अलावा कोई चारा नहीं है। कोर्ट ने उन्हें स्टे दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी जानबूझ कर यह सब कर रहे हैं। इनके नामों का समय आने पर खुलासा करेंगे। कोर्ट ने चीफ इंजीनियर को मामला सुलझाने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने आर्बिटेशन में भी मामला रखा है। बता दें कि इस सड़क को लेकर आर्बिटेशन में भी सुनवाई चल रही है। इसकी आठ मीटिंग हो चुकी हैं। अधिकांश में कंपनी की तरफ से कोई प्रस्तुत नहीं हुआ। कंपनी संचालक ने सूचना भिजवाई कि उन्हें कोरोना हुआ है, लेकिन अब आर्बिटेशन की कोई नई तारीख नहीं रखी। अब चीफ इंजीनियर को भी इसमें फैसला लेना है।