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अपराध साबित होने पर अधिकतम 10 साल कैद और चार लाख रुपये न्यूनतम जुर्माने का प्रावधान

हरियाणा सरकार ने जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022 में कड़े प्रावधान किए हैं। इसके तहत जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम 10 साल कैद व न्यूनतम चार लाख रुपये जुर्माना होगा। सरकार ने इस विधेयक को शुक्रवार को विधानसभा में प्रस्तुत कर दिया। चर्चा के बाद आगामी बैठकों में इसे पारित कर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

विधेयक के लागू होने पर जबरन धर्मांतरण आसान नहीं होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि स्वेच्छा से धर्म-परिवर्तन की जानकारी धार्मिक पुरोहित या अन्य व्यक्ति को डीसी को आयोजन स्थल के साथ पूर्व में देनी होगी। इस नोटिस को डीसी कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया जाएगा। यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के भीतर लिखित में अपनी आपत्ति दायर कर सकता है।

डीसी जांच कर यह तय करेंगे कि धर्म परिवर्तन का आशय धारा-3 की उल्लंघन है या नहीं। यदि इसमें कोई उल्लंघन पाया जाता है तो आग्रह अस्वीकार कर दिया जाएगा। डीसी के आदेश के विरुद्ध 30 दिनों के भीतर मंडल आयुक्त के समक्ष अपील की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अनेक मामलों में धर्म की गलत व्याख्या कर दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी की गई और शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया।

इस तरह की घटनाएं न केवल हमारी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं, बल्कि समाज के सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को भी ठेस पहुंचाती हैं। इसलिए यह कानून बनाने जा रहे हैं। किसी भी धर्म के व्यक्तियों को कहीं भी धर्मस्थल बनाने पर प्रतिबंध नहीं है। कुछ चंगाई सम्मेलनों में धार्मिक ओरा देकर लोगों को बीमारियां दूर करने का आश्वासन देकर अंधविश्वास फैलाया जाता है। इस विधेयक में उनके खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है।

अलग-अलग सजा व जुर्माना का प्रावधान

यदि किसी प्रलोभन, बल प्रयोग, षड्यंत्र से धर्म परिवर्तन करवाया जाता है तो 1 वर्ष से 5 वर्ष तक का कारावास और कम से कम 1 लाख रुपये जुर्माना होगा। यदि विवाह के लिए धर्म छिपाया है तो 3 से 10 साल तक के कारावास और कम से कम 3 लाख रुपये जुर्माना लगेगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में विधेयक की धारा-3 के उपबंधों के उल्लंघन करने पर 5 से 10 साल तक का कारावास और कम से कम 4 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। अगर कोई संस्था अथवा संगठन इस अधिनियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो उसे भी विधेयक की धारा-12 के अधीन दंडित किया जाएगा। संस्था अथवा संगठन का पंजीकरण भी रद्द कर दिया जाएगा। उल्लंघन करने का अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।

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