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खारकीव में खतरे के बीच फंसे हैं जिले के लाल, परिजनों की बढ़ रही चिंता

यूक्रेन में हरियाण के कैथल जिले से 80 से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए वे विदेश में हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच इनमें से कितने स्वदेश वापस आ गए, अब तक यह स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि गिने-चुने बच्चे ही अब तक वापस लौट पाए हैं। अब भी बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं इवानो फ्रेंकविस्ट, कीव और खारकीव में फंसे हुए हैं। कैथल से दो बच्चों के परिजनों ने बताया कि उनके बच्चे खारकीव में हैं जहां मंगलवार की रात काफी भारी रहने वाली है। इस शहर में लगातार खतरे का सायरन बज रहा है। इससे विद्यार्थी दहशत में हैं।

कैथल निवासी रमेश गोयल ने बताया कि पिछले 24 घंटों से उनकी बेटी से संपर्क नहीं हो पाया था। शाम को संदेश मिला कि वह खारकीव से निकलेगी। उम्मीद है कि वह इस शहर से निकल कर किसी दूसरे शहर में सकुशल पहुंच जाएगी।

चंदाना गेट से ही यूक्रेन गई काजल के पिता ने बताया कि उनकी बेटी से बात हुई है। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से खारकीव में फंसे बच्चों के लिए ट्रेन चलाई गई है। उनकी बेटी काजल ने बताया कि मंगलवार को कर्फ्यू के कारण वे ट्रेनों में नहीं जा सके। अब शाम को एक ट्रेन आएगी, जिसमें उम्मीद है कि वे लोग खारकीव से लीव शहर तक पहुंचेंगे। जहां से रोमानिया की राजधानी में पहुंचना आसान होगा।

जिले के कुल 80 से ज्यादा बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए थे। इनमें से कितने आ चुके हैं, यह अब तब स्पष्ट नहीं हो पाया है। डीसी प्रदीप दहिया ने बताया कि कुल करीब 84 बच्चों की सूची आई है। इसमें पता लगाया जा रहा है कि कैथल से कितने हैं।

रोमानिया में मची है अफरातफरी

रोमानिया में रिफ्यूजी कैंप में फंसे अंकित ने बताया कि यहां अफरातफरी का माहौल है। जैसे-तैसे छात्र-छात्राएं एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं। जहां उन्हें सीधा टिकट मिल रहा है। वे यहां दूतावास के अधिकारियों के इंतजार में थे लेकिन अब वे भी एयरपोर्ट के लिए निकल रहे हैं।

धमाकों के बीच भूखे रहकर गुजारे दो दिन

कलायत। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वहां फंसे भारतीय विद्यार्थियों को भारी जोखिम उठाना पड़ रहा है। यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे वार्ड एक निवासी 23 वर्षीय अंकित के पिता जोगेंद्र खटकड़ ने इसकी दर्दनाक तस्वीर बयां की। छात्रों द्वारा झेली जा रही विषम परिस्थितियों का जिक्र करते हुए जोगेंद्र खटकड़ और उनकी पत्नी कमलेश फफक पड़ीं। तीन दिन से उनका बेटे से संपर्क नहीं हो पा रहा था। मंगलवार सुबह भारतीय समय अनुसार करीब साढ़े छह बजे बेटे से फोन पर बात की तो वे भावुक हो उठे।

बेटे ने बताया कि 26 फरवरी को वे गोलाबारी से घिरे यूक्रेन से रोमानिया में सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए बस से निकले। बार्डर पर तनाव के कारण उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया गया। इस स्थान पर न केवल उनके साथ मारपीट की गई, बल्कि हवाई फायरिंग कर दहशत भी फैलाई गई। भयावह दृश्य से विद्यार्थी कांप गए थे। छात्राएं बिलख रही थीं। दो दिन तक उन्हें खाना और पानी भी नसीब नहीं हुआ।

नाजुक स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान लेने के बाद बार्डर पर फंसे भारतीयों को सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ने का मौका दिया गया। इस पर आखिरकार भारी विपदा को झेलते हुए वे रोमानिया स्थित शेल्टर हाउस में पहुंच गए। वहां उन्हें परिवार के लोगों से मोबाइल से बातचीत का मौका मिला। उनके साथ हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों के विद्यार्थी हैं।

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