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कांवड़ रूट पर नाम लिखने की रोक जारी रहेगी:योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था- खाने में लहसुन-प्याज से झगड़े हो रहे

The ban on writing names on the Kanwar route will continue: Yogi government had said in the Supreme Court that there are fights due to garlic and onion in food.

( गगन थिंद ) यूपी में कांवड़ रूट पर नाम लिखने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक जारी रहेगी। कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी सरकार के जवाब दाखिल करने के बाद ये आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और मध्यप्रदेश सरकार को भी अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा- केंद्रीय कानून के मुताबिक यह आदेश दिया गया है। कोर्ट बोला- सभी जगह लागू करिए। फिर वकील ने कहा- कांवड़ सिर्फ तीन राज्यों से गुजरते हैं। यह सिर्फ खाने-पीने के लिए नहीं है। केंद्रीय कानून में दी गई व्यवस्था के मुताबिक है। सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। जबकि कानून में यह व्यवस्था दी गई है कि राज्य इसे लागू कर सकते हैं। मुकुल रोहतगी ने कहा- एक कांवड़िए ने याचिका दाखिल करके कहा कि राज्य का आदेश उचित है। खाना क्या है यह पता होना चाहिए। मुजफ्फरनगर पुलिस की तरफ से यह निर्देश बाध्यकारी तौर पर नहीं लागू किया गया।

यूपी सरकार ने कहा- खाने-पीने के सामान को लेकर भ्रम होता है
यूपी सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा- कांवड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने के सामान से भ्रम होता है। खासकर प्याज-लहसुन के इस्तेमाल को लेकर झगड़ा होता था। कांवड़ियों ने कई बार इसकी शिकायत की। इसके आधार पर आदेश दिया गया। इसके पीछे मकसद इतना था कि कांवड़ियों को पता चल सके कि वो कौन सा भोजन खा रहे, ताकि उनकी धार्मिक भावनाएं आहत न हों और यात्रा शांतिपूर्ण संपन्न हो। आदेश धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता है, यह सबके लिए है। यूपी सरकार ने इस विवाद में दाखिल की गई याचिकाओं का विरोध किया। कहा- पुलिस अफसरों ने कांवड़ियों की समस्याओं को दूर और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाया था। सरकार ने मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध को छोड़कर किसी भी दुकानदार के व्यापार पर बैन नहीं लगाया। दुकानदार अपना व्यवसाय करने के लिए स्वतंत्र हैं।

सरकार ने याचिका का विरोध किया
कोर्ट में सरकार ने कहा- हर साल 4.07 करोड़ से अधिक कांवड़िए भाग लेते हैं। हम किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यूपी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कदम उठाती है कि सभी धर्मों के त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएं। 4 दिन पहले यानी 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को लेकर कई राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था- दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं। लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है।

NGO ने याचिका दाखिल की है
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकान मालिकों को अपना नाम लिखने का आदेश दिया गया था। इसके खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अल्पसंख्यकों की पहचान के जरिए उनका आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। यह चिंताजनक है।

यूपी के बाद एमपी के उज्जैन और उत्तराखंड में आदेश जारी हुए
यूपी के बाद 20 जुलाई को उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी कांवड़ यात्रा रूट पर आने वाली दुकानों में दुकानदारों का नाम और मोबाइल नंबर लिखना जरूरी कर दिया गया था। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि कुछ लोग अपनी पहचान छिपाकर दुकान खोलते हैं। उज्जैन में नगर निगम यह आदेश एक साल पहले ही दे चुका था। हालांकि, इस पर अमल नहीं हो रहा था। उज्जैन के मेयर मुकेश टटवाल ने कहा था कि इस बार सावन के महीने में आदेश पर सख्ती से अमल करवाएंगे। उत्तर प्रदेश में सावन के महीने में आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा में देश के अलग-अलग राज्यों के श्रद्धालु शामिल होतें हैं। इन्हें कांवड़िया कहा जाता है। ये कांवड़िए हरिद्वार से गंगा जल लेकर अलग-अलग शहरों में बने शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा का रूट नीचे दिए ग्राफिक से समझिए। कांवड़ यात्रा में हर साल करीब 4 करोड़ श्रद्धालु शामिल होते हैं। करीब एक महीने तक चलने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान हर श्रद्धालु एक से डेढ़ हजार रुपए तक खर्च करता है। इस हिसाब से पूरी कांवड़ यात्रा के दौरान ₹5000 करोड़ रुपए तक का कारोबार होता है। कांवड़िए खाने-पीने से लेकर हर दिन की जरूरत का ज्यादातर साामान रास्ते में पड़ने वाली दुकानों से ही खरीदते हैं।

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