मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेशवासियों को बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर जयंती और बैसाखी उत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहब के दिखाए मार्ग पर चलते हुए प्रदेश सरकार ने विभिन्न वर्गों विशेषकर, अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं ताकि अंत्योदय की भावना से समाज के कमजोर से कमजोर व्यक्ति के विकास की परिकल्पना को साकार किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा साहब ने शिक्षा के माध्यम से समाज को सामाजिक समरसता का जो संदेश दिया था, उस पर हमें आगे बढ़ना चाहिए। सरकार द्वारा महर्षि वाल्मीकि, संत रविदास, संत कबीर और भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जैसे महापुरुषों की जयंतियां मनाने का निर्णय लिया गया है, जिससे लोगों विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी को उनके जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को जानने व समझने का मौका मिलता है। इससे हमारे युवाओं को इन महापुरुषों के आदर्शों और सिद्धांतों पर चलने की सदैव प्रेरणा मिलती रहेगी।
इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को बैसाखी उत्सव की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्हों कहा कि देश के विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग नाम और अंदाज से मनाया जाने वाला बैसाखी का त्योहार सामूहिक जीवन की खुशियां, उल्लास और भाईचारे का संदेश देता है। यह त्योहार सभी के जीवन में अपार उल्लास, सुख-समृद्धि व उन्नति लाए, यही ईश्वर से उनकी कामना है।
विधानसभा में संविधान निर्माता का वंदन
हरियाणा विधानसभा सचिवालय में वीरवार को संविधान के जनक बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को याद किया गया। लोकतंत्र के इस मंदिर में स्थापित संविधान के शिल्पकार की मूर्ति के समक्ष विधानसभा के तमाम अधिकारी नतमस्तक हुए। इन सभी ने डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता और उपाध्यक्ष गुवाहाटी में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में भाग लेने असम गए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि संविधान निर्माता के जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण का कार्यक्रम आयोजित किया जाए।
गुवाहाटी से भेजे संदेश में विस अध्यक्ष ने प्रदेश के लोगों को बाबा साहब की जयंती पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विधानसभा परिसर में प्रतिमा की स्थापना के बाद से उनकी जयंती मनाने की जो परंपरा शुरू की गई है, उसे निर्बाध रूप से जारी रखा जाना चाहिए।