हरियाणा की जिस बेटी ने 5 साल पहले देश का मान रियो ओलिंपिक में पदक जीतकर बढ़ाया था, अब उसकी और उसकी मां की प्रदेश सरकार नहीं सुन रही है। कभी उसकी उपलब्धि पर अपना सिर ऊंचा करने वाले प्रदेश के नेता व अधिकारी अब आंखें चुरा रहे हैं। बेटी को तिरंगे की शान बढ़ाए हुए पांच साल हो गए, लेकिन उनकी मां को अब तक प्लॉट के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
वहीं अभी तक के वादे के मुताबिक उनका प्रमोशन भी नहीं किया गया है। हम बात कर रहे हैं, देश की पहली ओलिंपिक पदक विजेता महिला पहलवान रोहतक की साक्षी मलिक की। रियो ओलिंपिक 2016 में उन्होंने देश की महिला पहलवान के तौर पर भी पहला कांस्य पदक जीता था। उनकी उपलब्धि पर देश ही नहीं, प्रदेश सरकार भी फूली नहीं समाई थी। आइए अब जानते हैं कि वह प्रदेश सरकार उनके लिए क्या कर रही है।
वादे- जो वादे ही बनकर रह गए
प्रदेश सरकार ने उन्हें विभिन्न पुरस्कारों के साथ प्लाट देने का भी वादा किया था। वहीं उनकी मां सुदेश, जो महिला व बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर हैं, को अधिकारी पद पर प्रमोशन देने के वादा किया था। पांच साल बाद भी वादे-वादे ही बनकर रह गए हैं। ओलिंपिक मेडलिस्ट की मां का कहना है कि विभाग प्लाट के साइज व जोन के बारे में बार-बार सवाल पूछकर उसके आवंटन को अभी तक जानबूझकर लटकाए हुए है। कई बार चंडीगढ़ व गुरुग्राम के चक्कर लगा चुकी हैं। मुख्यमंत्री मनोहरलाल, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व खेल मंत्री संदीप सिंह से भी गुहार लगा चुकी हैं।
जीत चुकी हैं यह पुरस्कार
रोहतक की पहलवान साक्षी मलिक रियो ओलिंपिक में 58 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीतने के बाद पद्मश्री, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड जीत चुकी हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में साक्षी एक सिल्वर व एक कांस्य जीत चुकी हैं। वहीं एशियन गेम्स में उन्होंने अब तक चार पदक अपने नाम किए हैं, जिसमें तीन कांस्य व एक रजत पदक शामिल हैं।