जुड़वां भाइयों तन और मन ने कोरोना कॉल में घर के आँगन में बस, ट्रेक्टर, डीजे जीप, कंबाइन व केटीएम बाईक खड़ी कर दी। दरअसल हम जिन ट्रांसपोर्ट व्हीकलस की बात कर रहे हैं वो असली तो नहीं हैं लेकिन बनाये गए बिलकुल असली की तरह ही हैं जो काम भी करते हैं। मतलब दसवीं में पढ़ने वाले तन-मन जुड़वां भाइयों ने लकड़ी व गत्ता जोड़-जोड़कर ऐसे मॉडल तैयार कर दिए जो बिल्कुल असली की तरह लगते हैं और असली की तरह ही काम भी करते हैं
कैथल. कोरोना काल में जहाँ सभी स्कूल-कॉलेज बंद रहे जिसका सीधा असर पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पर पड़ा। पढ़ाई बाधित तो हुई ही साथ में लॉक डाउन के दौरान घर के सदस्य भी बच्चों की शरारतों से परेशान नजर आये लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिन्होंने कोरोना के दौरान हौसलों की उड़ान भरी और विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ ऐसा कर दिखाया जिस पर आज उनके घर वालों को फक्र है। आइये बताते हैं ऐसे ही दो जुड़वां भाइयों तन-मन के बारे में जिन्होंने कोरोना कॉल को अभिशाप की तरह नहीं बल्कि वरदान की तरह गुजारा और लकड़ी व गत्ते से घर में लगा दी ट्रांसपोर्ट की झड़ी।
कैथल के गाँव कुराड़ के दो जुड़वां भाइयों तन और मन ने कोरोना कॉल में घर के आँगन में बस, ट्रेक्टर, डीजे जीप, कंबाइन व केटीएम बाईक खड़ी कर दी। दरअसल हम जिन ट्रांसपोर्ट व्हीकलस की बात कर रहे हैं वो असली तो नहीं हैं लेकिन बनाये गए बिलकुल असली की तरह ही हैं जो काम भी करते हैं। मतलब दसवीं में पढ़ने वाले तन-मन जुड़वां भाइयों ने लकड़ी व गत्ता जोड़-जोड़कर ऐसे मॉडल तैयार कर दिए जो बिल्कुल असली की तरह लगते हैं और असली की तरह ही काम भी करते हैं।
सबसे पहले खेल खेल में इन दोनों भाइयों ने एक गत्ते की जीप डीजे सिस्टम बनाया जो डीजे की तरह ही काम करता था जिसमे उसी तरह म्यूजिक बजता था। जिसके बाद उन्होंने और जिवंत मॉडल बनाने के लिए पिता विक्रम से रूपये मांगे तो उनके पिता विक्रम ने मॉडल देखा और कहा की तुम लोग तैयार तो कर रहे हो लेकिन मेरे पास खर्चने के लिए ज्यादा रूपये नहीं हैं तो बच्चों ने कहा की ये सिर्फ लकड़ी और गत्ते से बनते है जिसमे ज्यादा खर्चा नहीं आता। इतनी बात सुनते ही पिता विक्रम ने अपने बच्चों का साथ दिया और उसके बाद तन और मन ने मिलकर कोरोना काल के दौरान बस, ट्रेक्टर, डीजे जीप, कंबाइन व केटीएम बाईक बना दी जो बिल्कुल हूबहू असली की तरह ही लगते है और असली की तरह ही काम करते हैं। बटन दबाते ही सारे मॉडल लाइटों से जगमगा उठते हैं। बस में असली बस की तरह ही खिड़कियाँ, लगेज बॉक्स, सीटें, स्टेरिंग व्हील, लाइट, सीसे आदि लगाए गए हैं तो ट्रैक्टर भी वर्किंग मॉडल की तरह काम करते है। लकड़ी व गत्ते से बनी जीप पर डीजे सिस्टम फ़ीट किया गया है जो ऊँची धमक के साथ बजता है। इसी तरह ही केटीएम बाईक व कम्बाइन भी बनाई गई है। सारे के सारे मॉडल गत्ते-लकड़ी और वेस्ट सामान से बनाये गए हैं।
अब आगे तन और मन दोनों भाई मिलकर जल्द ही एक मोटरसाइकिल के इंजन के साथ सड़क पर दौड़ने वाली जीप भी बनाएंगे। फिलहाल दोनों भाई 12वीं कक्षा के छात्र हैं और भविष्य में इंजीनियर बनना चाहते हैं। जब इन्होने ये सब बनाना शुरू किया तब ये दोनों भाई दसवीं कक्षा में पढ़ते थे और कोरोना के दौरान सभी स्कूल बंद थे तो इन्होने घर पर रहकर ये सब कुछ काम किया। पिता विक्रम ने बताया की दोनों ही बच्चे होनहार है और गाँवों व आसपास के एरिया में इनके चर्चे है। पिता भी चाहते हैं की दोनों बच्चे इस तरह के काम करते रहे और अगर इंजीनियर बनने की तरफ कदम बढ़ाते है तो परिवार की तरफ से पूरा सहयोग मिलेगा।
तन और मन की माँ विनीता ने बताया की तन और मन दोनों जुड़वां है दरअसल एक साथ उनके तीन जुड़वां ( triplet twins ) बच्चे पैदा हुए जिनमे दो लड़के तन और मन व एक लड़की जिसका नाम धन है। तीनों ही 12 वीं कक्षा में पढ़ते हैं। जब पैदा हुए तो आस पड़ौस वालों ने कहा की तीन बच्चे एक साथ पैदा हों तो शुभ नहीं होते लेकिन विनीता ने अपने तीनों बच्चो का लालन-पालन एक साथ किया जो आज इस तरह के मॉडल बनाकर नाम रोशन कर रहे हैं और भविष्य में अगर ये इंजीनियर बनना चाहते है तो परिवार से पूरी मदद मिलेगी।
दोनों जुड़वां भाइयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए नारे आत्मनिर्भर भारत को सार्थक करते हुए एक अच्छी पहल कर दी है जिसका असर अन्य बच्चों पर भी पड़ेगा और वो तन-मन जैसे बच्चों से प्रेरणा लेकर अपना व देश का नाम रोशन करेंगे।