कैथल । दिव्यांक राणा ने बताया कि उसने 27 जून को ठीक 6:50 बजे चढ़ाई शुरू की थी। 13 घंटे और 45 मिनट की अवधि में 82.5 किमी की कठिन दूरी तय करने के बाद उमलिंग ला दर्रे पर पहुंच गया। रास्ते में उसने 2700 मीटर की प्रभावशाली ऊंचाई को पार किया और 18,124 फीट की ऊंचाई पर स्थित दर्रे फोटिला पर विजय प्राप्त की।
गांव चंदाना निवासी साइकिल चालक दिव्यांक राणा ने दृढ़ संकल्प और गो ग्रीन स्टे लीन वाक्य को सार्थक करते हुए दुनिया के सबसे ऊंचे मोटर योग्य दर्रे उमलिंग ला को फतेह किया है। दिव्यांक ने 19 मार्च को कैथल से फरीदाबाद जाकर वहां से लेह तक एक असाधारण साइकिल यात्रा शुरू की। उन्होंने 2023 में दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सडक़, उमलिंग ला दर्रा पर चढऩे वाले हरियाणा के पहले साइकिल चालक के रूप में अपना स्थान बनाया है। उमलिंग ला दर्रा समुद्र तल से 19,024 फीट अर्थात 5,883 मीटर ऊपर है।
भारत के आखिरी गांव के रूप में मशहूर
दिव्यांक ने बताया कि उसने 27 जून को ठीक 6:50 बजे चढ़ाई शुरू की थी। 13 घंटे और 45 मिनट की अवधि में 82.5 किमी की कठिन दूरी तय करने के बाद उमलिंग ला दर्रे पर पहुंच गया। रास्ते में उसने 2700 मीटर की प्रभावशाली ऊंचाई को पार किया और 18,124 फीट की ऊंचाई पर स्थित दर्रे फोटिला पर विजय प्राप्त की। उसके बाद उसे कई खूबसूरत और चुनौतीपूर्ण इलाकों से होकर आगे जाना पड़ा। दिव्यांक का अटूट निश्चय उन्हें छितकुल ले गया, जो भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित भारत के आखिरी गांव के रूप में मशहूर है।
सीमाओं को आगे बढ़ाने की योजना बनाई
वहां से रिकांग पियो, स्पीति घाटी, काजा और कोमिक (दुनिया का सबसे ऊंचा गांव) से गुजरते हुए अपनी यात्रा जारी रखी। दुनिया के सबसे ऊंचे डाकघर के लिए मशहूर गांव हिक्किम की कठिन चुनौतियों और कुंजुम दर्रे की कठिन यात्रा करते हुए दिव्यांक ने फोटिला दर्रा और उमलिंग ला दर्रा दोनों पर विजय प्राप्त कर साइकिल का सफर समाप्त किया। दिव्यांक ने कहा कि अब वह नए क्षितिज पर अपनी नजरें गड़ाए है। दिव्यांक ने अज्ञात क्षेत्रों का पता लगाने, मौजूदा रिकॉर्ड तोडऩे और दो पहियों पर जो संभव माना जाता है उसकी सीमाओं को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है।