( गगन थिंद ) रेसलिंग से राजनीति में आए बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट की सियासत ने सबको चौंका दिया है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले विनेश-बजरंग हुड्डा ग्रुप के साथ रहे। चुनाव के दौरान भी विनेश फोगाट के लिए दीपेंद्र हुड्डा प्रचार करते दिखे। हालांकि, मंगलवार को बजरंग पूनिया ने दिल्ली में ऑल इंडिया किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार संभाला। इस दौरान उनके साथ सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा मौजूद रहीं। यह चौंकाने वाला इस वजह से है, क्योंकि हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा और सैलजा गुट आपस में विरोधी है। चुनाव में भी इनकी गुटबाजी नजर आती रही। चुनाव में हार के लिए भी सैलजा गुट भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा को जिम्मेदार ठहरा रहा है। इसके बावजूद विनेश फोगाट के जुलाना से MLA बनने के बाद बजरंग को पदभार संभालते वक्त दीपेंद्र हुड्डा की गैरमौजूदगी से कई तरह की चर्चाएं खड़ी हो गई हैं। वहीं, इसे लेकर बजरंग पूनिया ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा हमारे सीनियर नेता हैं। आगे भी हम उनके नेतृत्व में काम करते रहेंगे।
शुरू से हुड्डा गुट के करीबी रहे विनेश-बजरंग
विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया शुरू से ही हुड्डा गुट के ही करीबी रहे हैं। जब विनेश, बजरंग और साक्षी मलिक ने अन्य पहलवानों के साथ भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था, तब कांग्रेस पार्टी के कई नेता उनकी सपोर्ट में दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचे थे। ज्यादातर पहलवान हरियाणा के थे, इसलिए कांग्रेस पार्टी से हरियाणा के CM रहे भूपेंद्र हुड्डा भी उस समय पहलवानों के समर्थन में पहुंचे थे। शुरुआत में तो पहलवानों ने अपने मुद्दे पर राजनीति न करने के लिए कहा था, लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेस का समर्थन पा लिया। तब से ही विनेश और बजरंग हुड्डा गुट के करीबी हो गए थे।
पहलवान आंदोलन में हुड्डा दिखे
पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहलवानों के समर्थन में खुद जंतर-मंतर पर पहुंचे थे। उनके साथ हरियाणा कांग्रेस का विधायक दल भी वहां पहुंचा था। तब हुड्डा ने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि न्याय मिलने में देर हो सकती है, मगर अंधेर नहीं होगी। खिलाड़ी संयम और हिम्मत बनाए रखें। देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों के साथ कांग्रेस खड़ी है।
विनेश के स्वागत में पहुंचे दीपेंद्र हुड्डा
जब विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक के फाइनल से डिस्क्वालिफाई होकर देश लौटीं तो उनका स्वागत करने के लिए खुद सांसद दीपेंद्र हुड्डा दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे थे। एयरपोर्ट से लेकर विनेश के बलाली गांव पहुंचने तक तमाम कांग्रेस नेताओं, 2 विधायकों और पार्टी टिकट के कई दावेदारों ने विनेश का स्वागत किया। दीपेंद्र ने ही एयरपोर्ट के अंदर विनेश को रिसीव किया था। वह खुद सुरक्षाकर्मियों के घेरे में विनेश को लेकर दिल्ली एयरपोर्ट से बाहर आए। जब रोड शो निकला तो विनेश की गाडी के बोनट पर विनेश के साथ बजरंग पूनिया व साक्षी मलिक के अलावा दीपेंद्र हुड्डा भी बैठे।
पेरिस से लौटकर हुड्डा परिवार से मिलीं
विनेश फोगाट जब पेरिस से लौटीं तो वह नई दिल्ली में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके परिवार से मिलीं। तब विनेश ने कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली थी, लेकिन चर्चा थी कि विनेश विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं। तब भूपेंद्र हुड्डा ने कहा था, “एथलीट सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते। वे पूरे देश के होते हैं।” हुड्डा ने कहा कि विनेश के साथ अन्याय हुआ है। उन्हें उनका उचित सम्मान मिलना चाहिए। उन्हें राज्यसभा में मनोनीत किया जाना चाहिए। उन्हें वही सम्मान मिलना चाहिए जो स्वर्ण पदक विजेता को मिलता है।
हुड्डा ने कांग्रेस जॉइन कराने की बात कही
जब विनेश और बजरंग की कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ने लगी थीं तो भूपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि अगर कोई पार्टी में शामिल होता है, तो हम उसका स्वागत करते हैं। उन्होंने विनेश के मामले में कहा था कि यह विनेश पर ही निर्भर करेगा।
टिकट दिलाने और जिताने में भूमिका निभाई
वहीं, कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि चुनाव से पहले जब केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग हुई तब भूपेंद्र हुड्डा ने विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को टिकट देने की पैरवी की थी। हुड्डा ने कहा था कि पहलवानों के साथ खड़े होने से हरियाणा में लोगों का समर्थन कांग्रेस के पक्ष में आएगा। केंद्रीय चुनाव समिति ने इसके लिए चर्चा के बाद हामी भी भर दी थी। हालांकि, चुनाव लड़ने या न लड़ने और सीट चुनने का फैसला तब विनेश और बजरंग पर ही छोड़ा गया था। बाद में विनेश ने जुलाना से चुनाव लड़ा और बजरंग को ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का वर्किंग चेयरमैन बनाया गया।
हरियाणा में हुड्डा Vs सैलजा क्यों?
हरियाणा चुनाव के दौरान हुड्डा गुट की सैलजा गुट से ठनी रही। टिकटों के बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक दोनों ग्रुपों में खींचतान चलती रही। टिकट बंटवारे में भूपेंद्र हुड्डा ने अपना वर्चस्व दिखाते हुए ज्यादातर सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाया। वहीं, कांग्रेस हाईकमान ने सैलजा समर्थक करीब 5 दावेदारों को टिकट दिए। जब सैलजा की बंटवारे में नहीं चली तो उन्होंने हुड्डा समर्थकों के चुनाव प्रचार से दूरी बना ली। वहीं, हुड्डा भी सैलजा समर्थक उम्मीदवारों की रैलियों में नहीं पहुंचे। इस दौरान दोनों गुटों ने एक-दूसरे पर जुबानी हमले भी किए।
भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी सैलजा दोनों ही हरियाणा CM की कुर्सी पर अपनी दावेदारी ठोक रहे थे। हालांकि, हाईकमान ने किसी का नाम प्रस्तावित नहीं किया था।